Detailed Notes on upay totka
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चुटकी भर हींग अपने ऊपर से वार कर उत्तर दिशा में फेंक दें। प्रात:काल तीन हरी इलायची को दाएँ हाथ में रखकर “श्रीं श्रीं´´ बोलें, उसे खा लें, फिर बाहर जाए।
एक उपाय के दौरान दूसरे उपाय का कोई सामान भी घर में न रखें !
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वाहन से जुडे मामलों में भी यह उपायलाभकारी रहते है.
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किसी दुकान में जाकर किसी भी शुक्रवार को कोई भी एक स्टील का ताला खरीद लीजिए ! लेकिन ताला खरीदते वक्त न तो उस ताले को आप खुद खोलें और न ही दुकानदार को खोलने दें ताले को जांचने के लिए भी न खोलें ! उसी तरह से डिब्बी में बन्द का बन्द ताला दुकान से खरीद लें !
एक रूपए का सिक्का सिरहाने (तकिये के नीचे) रख कर सो जाओ शनिवार के दिन और फिर रविवार सुबह उस सिक्के को कब्रिस्तान या शमशानघाट या चौराहे पर फैक देना है । सिक्का फैंकते वक्त अपनी प्रार्थना बोलनी है की " है माँ दुर्गा और जो भी शक्तियों यहाँ पर हो उन सब से मेरी ये प्रार्थना है की _________ इसको जल्दी पूरी करो और फिर घर वापिस आ जाना है । आपको जाते वक्त कोई टोके नहीं और जाते वक्त आपको किसी
* अमावस्या की रात्रि अगर आप काले कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाते हैं और उसी समय वह कुत्ता यह रोटी खा लेता है तो इस उपाय से आपके सभी दुश्मन उसी समय से शांत होना शुरू हो जाएंगे।
१. यदि किसी more info को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें !
साथ ही दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन शमी के पेड़ में घी की दीपक जलाने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में भी सफलता मिलनी शुरु हो जाएगी। साथ ही आपको प्रोफेशनल लाइफ में भी विजय मिलनी शुरु हो जाती है।
अगर अचानक धन लाभ की स्थितियाँ बन रही हो, किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो, तो गोपी चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है।
ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है अफेद आक (आंकड़ा)। यह बहुत चमत्कारी पौधा है। जिस घर में यह लगा होता है उस घर किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र या जादू-टोने का असर नहीं होता है।
शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में इस श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी होने की संभावना बनती है. मुंह के अशुद्ध होने पर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए.
२. इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें !